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केंद्र सरकार की चारधाम परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

निगरानी करने के लिए बनाई गई समिति
देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण केंद्र सरकार की चार धाम परियोजना को सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति दे दी है। इस परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने और डबल लेन हाइवे बनाने के लिए केंद्र सरकार ने अपील की थी। परियोजना को हरी झंडी मिलने के बाद चारधाम परियोजना के तहत भारतीय सेना चीन से सटी सीमाओं तक आसानी से पहुंच सकेगी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हाईवे निर्माण के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने में रक्षा मंत्रालय की कोई दुर्भावना नहीं है। अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत जरूरतों का अनुमान नहीं लगा सकती है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने निगरानी करने के लिए समिति बनाई है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुरक्षा कारणों से सड़कों को डबल लेन तक चौड़ा करने की अनुमति देने के साथ ही परियोजना पर सीधे रिपोर्ट करने के लिए पूर्व न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति का गठन भी किया है। कोर्ट ने रक्षाा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि वह निगरानी समिति को पूरा सहयोग करें।
केंद्र सरकार परियोजना के तहत सड़कों की चौड़ाई 10 मीटर तक करना चाहती है। इसके लिए केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिसके तहत कोर्ट से मांग की गई थी कि 8 सितंबर, 2020 को दिए अपने आदेश में संशोधन करे। इस आदेश के तहत सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर तक सीमित करने कहा गया था।
केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी चारधाम परियोजना का उद्देश्य यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इस परियोजना की लागत 12 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि भारत-चीन वास्तवित नियंत्रण रेखा की ओर से जाने वाली सीमा सड़कों के लिए यह फीडर सड़कें हैं।