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चंडीगढ़ मुद्दे की अमर बेल फिर से हरी हुई

चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा आमने-सामने, 5 अप्रैल को हरियाणा सरकार ने बुलाया विशेष विधानसभा सत्र
आखिर चंडीगढ़ है किसका ? यह विवाद पिछले 55 वर्ष से चलता आ रहा है। चंडीगढ़ आज भी पंजाब की राजधानी है, हरियाणा की राजधानी है लेकिन ये दोनों राज्य वास्तव में किराएदार हैं। प्रशासनिक दृष्टि से यह नगर संघशासित क्षेत्र है। पंजाब इस पर अपना हक मानता है क्योंकि यह पहले से ही इसकी राजधानी थी। लेकिन 1966 में हुए पुनर्गठन के बाद जब हरियाणा राज्य अस्तित्व में आया तो चंडीगढ़ किसके हिस्से में रहे, इसका निर्णय नहीं हो पाया और इसे दोनों राज्यों की राजधानी बना दिया गया। तब से लेकर अब तक इस नगर पर हक जमाने के लिए पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद चलता रहा है।
दरअसल हाल ही में सम्पन्न चुनावों में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद एकबार फिर पंजाब ने विशेष विधानसभा सत्र बुलाकर चंडीगढ़ को तत्काल पंजाब में मिलाने का प्रस्ताव पास कर दिया गया है। इसके बाद हरियाणा में राजनीति भी तेज हो गई है। ज़बानी जंग की शुरुआत हो चुकी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और विपक्ष के सभी नेताओं ने पंजाब के दावे को सिरे से नकार दिया है और इस प्रस्ताव पर अपनी नाराजगी जाहिर की है।आम लोगों की राय है कि चंडीगढ़ या फिर सतलुज-यमुना लिंक नहर का मुद्दा ऐसा है जिसका समाधान संभव नहीं है। वास्तव में, राजनीतिक दल अपने लाभ के लिए समय समय पर यह विषय उठा कर लोगों की भावनाएँ भड़काते हैं और अपना उल्लू सीधा करते हैं।
विपक्ष लगातार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भी विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहा था। ऐसे में मुख्यमंत्री आवास पर इस मुद्दे को लेकर ही एक बैठक हुई। जिसमें फैसला लिया गया कि 5 अप्रैल को हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। तदनुसार पांच अप्रैल को सुबह 11 बजे हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब विधानसभा पहले छह बार इसी तरह का प्रस्ताव पास कर चुकी है। हरियाणा विधानसभा भी अपना प्रतिदावा पेश करने में कभी नहीं चूकी है। लगता है, अगले कुछ समय तक यह मुद्दा गरम रहेगा।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा पंजाब के बीच में राजधानी चंडीगढ़ को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब सरकार ने 1 दिन का विधानसभा सत्र बुलाया था। इस दौरान पंजाब को इसका पूर्ण हक प्रदान करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। लेकिन
वहीं इस मामले को लेकर हरियाणा में सियासी हलचल तेज हो गई है। पक्ष और सत्ता पक्ष लगातार मुद्दे को लेकर पंजाब सरकार पर हमलावर है। विपक्ष पंजाब सरकार के साथ-साथ प्रदेश सरकार को भी लगातार कोस रही है। 5 अप्रैल को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। इससे पहले हरियाणा कैबिनेट की भी एक बैठक होगी। इस दौरान इस मुद्दे को लेकर ही बातचीत की जाएगी। हालांकि मुद्दे को लेकर विपक्ष सत्ता पक्ष के साथ एकजुट होने की भी बात कह चुका है। इससे स्पष्ट है कि 5 अप्रैल को होने वाला विधानसभा सत्र हंगामेदार रहने वाला है।