हमारे बारे में | संपर्क करें | डीएमसीए
अमेठी की चुनावी जनसभा वोट बैंक की राजनीति पर प्रधानमंत्री का प्रहार

परिवारवादी पार्टी में कार्यकर्ता के लिए स्पष्ट संदेश होता है कि मेहनत आप करिए फल हम खाएंगे–मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेठी में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में ऐसा परिवार ढूंढने की कोशिश करें जिसकी हमारी सरकार ने सेवाभाव से सहायता न की हो तो बेहद मुश्किल होगा। भारतीय जनता पार्टी की सरकार हमेशा मदद के लिए आगे आती है। शताब्दी के सबसे बड़े संकट में हमने सबकी मदद का प्रयास लगातार जारी रखा। इस दौरान पीएम मोदी ने कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि महामारी के दौरान उन्होंने गरीब परिवारों को सहायता प्रदान की। इसके साथ ही संकट के बीच प्रदेश के 16 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी गई। वहीं करीब 12 करोड़ लोगों को दूसरी डोज लग भी लग चुकी है।
प्रधानमंत्री ने नियमों के पालन का जिक्र करते हुए दो अहम बातें खुद से जुड़ी हुई बताईं। उन्होंने कहा कि ‘जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो मैं खुद पहले वैक्सीन लगवाने नहीं पहुंचा। मैंने भी वैक्सीन तब लगवाई जब नियम से मेरा नंबर आया। मेरी मां सौ साल की हैं। उन्होंने भी लाइन नहीं तोड़ी। जब उनका नंबर आया तब वो वैक्सीन लगवाने पहुंचीं। इतना ही नहीं अब बूस्टर डोज, तीसरे डोज की चर्चा चल रही है। लेकिन, मेरी मां ने नहीं लगवाई। क्योंकि भले उनकी उम्र सौ साल है लेकिन कोई और बीमारी नहीं होने के कारण उनका नंबर नहीं आया है इसलिए उन्होंने नहीं लगवाई। नियमों का पालन प्रधानमंत्री भी करता है और प्रधानमंत्री की सौ साल की मां भी करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति और परिवारवादी राजनीति, दोनों ने देश का बहुत नुकसान किया है। विपक्षी सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करते हैं और जब आप वोट बैंक की राजनीति करते हैं तो किसी का तुष्टिकरण करते हैं। इसका सीधा मतलब होता है कि समाज के एक बड़े वर्ग से आप विकास का हक छीन रहे हैं। इसी प्रकार जब आप परिवारवादी राजनीति करते हैं तो इसका मतलब होता है कि आप एक सामान्य आदमी से आगे बढ़ने का हक छीन रहे हैं।
राजनीति के इसी हानिकारक रूप का खुलासा करते हुए मोदी ने आगे कहा कि ‘परिवारवादी राजनीति एक विशेष परिवार से होता है। पार्टी के सभी अहम पदों पर परिवार के लोग बैठे होते हैं और आगे के लिए सभी अहम पदों पर भी परिवार के लोगों की दावेदारी होती है। पार्टी में कोई आंतरिक लोकतंत्र नहीं होता है। पिता के बाद बेटा, फिर बेटे के बाद उसका बेटा या बेटी या बहू। उन्हीं लोगों को पद पर रहने का हक मिलता है। इन पार्टियों में जो परिवार को समर्पित होता है उसी को वहां कुछ अवसर मिलता है। उनके लिए संविधान सुप्रीम नहीं होता है। परिवार का सुप्रीमो ही सुप्रीम होता है। वहां वह देश के लिए कुछ नहीं कर पाता है। ऐसी पार्टियों में कार्यकर्ता के लिए स्पष्ट संदेश होता है कि मेहनत आप करिए फल हम खाएंगे।’