हमारे बारे में | संपर्क करें | डीएमसीए
अब धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की तैयार में कर्नाटक सरकार

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा- “धर्मांतरण रोधी विधेयक को राज्य मंत्रिमंडल जल्द देगा मंजूरी”
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात की तर्ज पर कर्नाटक सरकार ने भी अब धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस कानून के तहत धर्मांतरण करने वाले पिछड़े समुदाय और अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा। सभी कल्याणकारी योजनाओं, शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण के लाभ से वंचित रहेंगे।कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस बात के संकेत दिए हैं कि, जल्द ही धर्मांतरण रोधी विधेयक को राज्य मंत्रिमंडल मंजूर दे सकता है। इस विधेयक को बेलगावी में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा,”धर्म परिवर्तन समाज के लिए अच्छा नहीं है, दलितों को इसके आगे नहीं झुकना चाहिए। कर्नाटक सरकार धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए एक कानून लाने की कोशिश कर रही है।” इसके साथ ही सीएम ने यह साफ कर दिया कि सभी धार्मिक समुदायों के लोगों को धर्मांतरण विरोधी कानून से घबराने की जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त धर्म हैं। लोगों को प्रार्थना करने या अपने धर्म का पालन करने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी धर्म के लोगों की धार्मिक प्रथाओं में कोई बाधा नहीं आएगी।
सीएम ने कहा कि देश की आजादी के बाद से ही धर्म परिवर्तन हमेशा चर्चा का विषय रहा है। और कई राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए हैं। वहीं, बेंगलुरु के ‘महाधर्मप्रांत’ सहित कई ईसाई संगठन प्रस्तावित धर्मांतरण विरोधी विधेयक की खिलाफत कर रहे हैं इससे पहले इस साल फरवरी में पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी राज्य सभा में आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि ईसाई और मुस्लिम धर्म अपनाने वाले आरक्षण का लाभ नहीं ले पाएंगे।