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देवास मल्टीमीडिया को बंद करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रैस कोन्फ्रेंस में कांग्रेस पर लगाया देश के साथ धोखाधड़ी का आरोप
मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एंट्रिक्स-देवास सौदे को लेकर संवाददाता सम्मेलन बुलाया। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए वित्त मंत्री ने जानकारी दी कि यूपीए शासन काल में वर्ष 2005 में एंट्रिक्स-देवास के बीच फाइनल हुई यह डील देश और देशवासियों के साथ एक बहुत बड़ा धोखा थी। कांग्रेस हमेशा से धोखाधड़ी के मास्टर गेम की शातिर खिलाड़ी रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पता चलता है कि कैसे यूपीए सरकार ने गलत हथकंडे अपनाए थे।
निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि एंट्रिक्स-देवास सौदा पूरी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 17 जनवरी 2022 को देवास-एंट्रिक्स डील मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें एनसीएलटी और एनसीएलएटी द्वारा कंपनी को बंद करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत ने एनसीएलटी के मई 2021 के बेंगलुरु स्थित देवास मल्टीमीडिया को बंद करने के आदेश को बरकरार रखा है।
उल्लेखनीय है कि साल 2005 में देवास मल्टीमीडिया और एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के बीच सैटेलाइट सेवा से जुड़ा एक समझौता हुआ था। इसके तहत सैटेलाइट का इस्तेमाल मोबाइल से बातचीत के लिए होना था, लेकिन इसके लिए सरकार की इजाजत नहीं ली गई थी। देवास मल्टीमीडिया उस वक्त एक स्टार्टअप था, जिसे 2004 में इसरो के ही पूर्व साइंटिफिक सेक्रेटरी एमडी चंद्रशेखर ने बनाया था। इस समझौते को 2011 में फर्जीवाड़े के आरोपों को चलते रद्द कर दिया गया था।
भारतीय कंपनी देवास मल्टीमीडिया में विदेशी निवेशकों का काफी पैसा लगा हुआ था। इस डील के रद्द होने से विदेशी निवेशकों को काफी परेशानी हुई थी। ढिलाई के चलते देवास मल्टीमीडिया के फर्जीवाड़े को समझने में सरकार को 2005 से लेकर 2011 तक छह वर्ष का वक्त लग गया, जिसके चलते विदेशी निवेशकों को भारत सरकार के खिलाफ कनाडा कोर्ट में जाने का मौका मिल गया था। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद वर्ष 2015 में सीबीआई जांच में इस मामले का खुलासा हुआ था।