लोकतंत्र आज वैश्विक है तो इसका श्रेय भारत को जाता है- एस जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग में क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर दिया जोर

बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रायसीना डायलॉग को संबोधित करते हुए क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय वातावरण का लाभ कैसे उठा सकता है इस पर विचार करते हुए अधिक व्यावहारिक और व्यापारिक नज़रिया अपनाना आवश्यक है। इसके साथ साथ कड़ी सुरक्षा पर अधिक ध्यान देकर अतीत में की गई गलतियों को भी सुधारा जा सकता है।

 विदेश मंत्री के अनुसार– “जब हम 75 सालों को पीछे मुड़कर देखते हैं तो हम सिर्फ वह बीते हुए 75 साल नहीं देखते, बल्कि वह 25 साल भी देखते हैं जो आने वाले हैं। एक समय था जब दुनियाभर में, सही मायनों में हम एकमात्र लोकतंत्र थे। अगर लोकतंत्र आज वैश्विक है या आज हम इसे विश्वव्यापी देखते हैं तो उसका श्रेय भारत को ही जाता है।“

 वहीं एस जयशंकर ने आगे कहा कि “भारत में अपने अतीत में सामाजिक संकेतों को मानव संसाधनों पर समुचित ध्यान नहीं दिया है। ऐसे में अब भारत को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। भारत को अगले 25 वर्षों में क्षमता निर्माण पर ध्यान देना चाहिए। भारत को परिणामों पर पूरी तरह से केन्द्रित होना चाहिए। इस बारे में पूरी तरह से व्यवहारिक भी होना चाहिए कि भारत अंतरराष्ट्रीय वातावरण का लाभ कैसे उठाता है।“

 उन्होने आगे कहा कि “भारत अपनी शर्तों पर रिश्ते निभाएगा और इसमें भारत को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। “वह कौन हैं” सोच कर दुनिया को खुश रखने की जगह हमें इस आधार पर दुनिया से संबंध बनाने चाहिए कि हम कौन हैं। दुनिया को हमारे बारे में बताएं और दुनिया से अनुमति लें– वह वाला दौर खत्म हो चुका है। अगले 25 सालों में भारत वैश्वीकरण का केंद्र होगा।“

उल्लेखनीय है कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में भारत के संतुलित पक्ष को देखकर कुछ देशों ने भारत की काफी आलोचना की थी। उसी की ओर संकेत करता हुआ विदेश मंत्री एस जयशंकर का यह बयान सामने आया है।

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