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उत्तराखंड सरकार ने भंग किया चार धाम देवस्थानम बोर्ड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा ऐलान, उत्तराखंड सरकार नहीं लेगी मंदिरों का नियंत्रण
उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम बोर्ड भंग करने का फैसला लिया है। दरअसल लंबे समय से पुरोहितों-पंडितों की ये मांग थी। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि, अब ये चार धाम देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में नहीं रहेगा। जिसके बाद संतों, पुरोहितों-पंडितों में खुशी की लहर दौड़ गई। देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम और बोर्ड को लेकर पुरोहितों-पंडितों के मन में कई शंकाएं थीं। राज्य सरकार लगातार इनका निपटान करने के लिए प्रयासरत थी। जिसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति और एक मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया गया था।
समिति ने राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी, जिसके बाद तत्काल ही फैसला लिया गया। समिति का गठन राज्यसभा के पूर्व सांसद मनोहरकांत ध्यानी की अध्यक्षता में किया गया था। इस समिति की रिपोर्ट का अध्ययन के लिए ही राज्य के धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय मंत्रिमंडलीय उप-समिति का भी गठन किया गया। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और स्वामी यतीश्वरानंद को भी इस समिति में जगह दी गई थी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान करते हुए कहा कि, “आप सभी की भावनाओं, तीर्थ-पुरोहितों, हक-हकूकधारियों के सम्मान एवं चारधाम से जुड़े सभी लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए श्री मनोहर कांत ध्यानी जी की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने चार धाम देवस्थानम बोर्ड अधिनियम वापस लेने का फैसला किया है।”
29 नवंबर को इस उपसमिति ने बैठक की थी। बैठक के दौरान रिपोर्ट पर चर्चा की गई थी। उल्लेखनीय है कि पहले ही पुरोहितों-पंडितों को इस संबंध में आश्वासन दिया गया था कि नवंबर के अंत तक कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा। इस वचन को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री धामी ने आज इस बड़े फैसले की घोषणा कर दी।