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श्रीलंका के बाद आर्थिक संकट की कगार पर पहुंचा नेपाल

संकट से निपटने के लिए आयात पर प्रतिबंध लगा रही है नेपाल सरकार, लोगों को करना पड़ रहा है मुश्किलों का सामना
श्रीलंका इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है। यहां लोगों को खाने से लेकर सब्जियों, दूध-दवाइयों और मामूली कागज तक की भारी कीमतों से जूझना पड़ रहा है। हर छोटी से छोटी चीज के दाम आसमान छू रहे हैं। नागरिक परेशान होकर सरकार के खिलाफ सड़कों पर धरना प्रदर्शन भी कर रहे हैं। एक पड़ोसी देश होने के नाते भारत भी श्रीलंका में हर संभव मदद भेजने के निरंतर प्रयास कर रहा है।
लेकिन इस बीच एक और खबर सामने आई है। भारत का एक और पड़ोसी देश इसी स्थिति की ओर बढ़ने लगा है। श्रीलंका के बाद अब नेपाल भी आर्थिक संकट की कगार पर पहुंचने वाला है। उल्लेखनीय है कि, नेपाल की आर्थिक स्थिति इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही डावांडोल हो गई थी। लेकिन इसकी चर्चा अब ज्यादा इसलिए होने लगी है क्योंकि नेपाल में अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए जो फैसले किए जा रहे हैं वह जगजाहिर होने लगे हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2021 से जुलाई 2022 के वित्तवर्ष में लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। उनके पास केवल सिर्फ 6 महीने तक सामान आयात करने का पैसा बचा है। विदेशी भंडार मुद्रा में कमी आने से हालात खराब हो रहे हैं। ऐसे में नेपाल सरकार ने बाहरी देशों से सामान आयात करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। नेपाल सरकार का यह कदम सामने आने के बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि नेपाल में भी जल्द ही आर्थिक संकट से लोग जूझने वाले हैं। नेपाल की आधी जरूरतें आयात के जरिए भी पूरी होती हैं। ऐसे में नेपाल सरकार का यह कदम उठाना बेहद ही महत्वपूर्ण है।
दरअसल नेपाल अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण वह खुद बुनियादी चीजों का उत्पादन करने में सक्षम नहीं है। इसलिए, आयात पर निर्भरता अधिक है। अब यही आयात बंद करके आंतरिक हालात को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन इसी बीच नेपाल में महंगाई ने भी पैर पसारना शुरू कर दिया है। आमजन प्रभावित होने लगा है यहां खाने पीने की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं जिसके कारण स्थानीय लोग घबराने लगे हैं।
गौरतलब है कि श्रीलंका की तरह ही नेपाल की अर्थव्यवस्था में भी पर्यटन क्षेत्र की भूमिका बहुत अधिक महत्व रखती है। पिछले 2 साल कोरोना महामारी के चलते नेपाल में भी पर्यटकों का आनाजाना बहुत कम रहा है जिसका सीधा असर अर्थ-व्यवस्था पर पड़ा है। हालांकि, श्रीलंका खुद को विदेशी कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ घोषित कर चुका है। वहीं नेपाल अपनी स्थिति को सुधारने की कोशिशों में लगा हुआ है।