विधानसभा चुनावों को लेकर पूर्वांचल में राजनीति तेज, यूपी चुनाव में बीजेपी के ये दो अहम मुद्दे…

2022 में विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने कसी कमर, पूर्वांचल पर बीजेपी का फोकस

जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, पूर्वांचल में सत्ता की जंग तेज होती दिख रही है। बीजेपी की तरफ से सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाल लिया है। शुक्रवार को अमित शाह वाराणसी पहुंचे, शनिवार को वो आजमगढ़ और बस्ती का दौरा भी करेंगे तो अखिलेश यादव शनिवार को गोरखपुर से कुशीनगर तक रथयात्रा शुरू करेंगे। यानी इस वक्त पूर्वांचल की राजनीति काफी ज्यादा गरम है। बीजेपी और समाजवादी पार्टी ही नहीं कई ऐसे दल भी हैं, जिनकी पूरी सियासत ही पूर्वांचल के जिलों पर टिकी हुई है और ये सभी पूरा जोर लगाए हुए हैं।

यूपी चुनाव में बीजेपी जिन दो अहम मुद्दों पर मैदान में उतरने वाली है, वो दोनों ही राम मंदिर और विकास यानी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे जैसे प्रोजेक्ट हैं मिशन यूपी को लेकर 2022 के सियासी दंगल के लिए खुद गृह मंत्री अमित शाह मैदान में उतर चुके हैं तो जल्द पीएम मोदी भी पूर्वी यूपी आ रहे हैं। सुल्तानपुर में पीएम मोदी पूर्वांचल एक्सप्रेस का उद्घाटन करेंगे। पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ से जुड़ी सीटें वाराणसी और गोरखपुर में भी पूर्वांचल में ही हैं। इसलिए बीजेपी ने पूरा जोर पूर्वी यूपी पर लगा दिया है।

16 नवंबर को वह पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करने के साथ साथ प्रधानमंत्री दूसरे कई जिलों को विकास की सौगात देंगे। वैसे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर समाजवादी पार्टी भी अपना दावा करती रही है। जाहिर है आने वाले चुनावों में एक्सप्रेस-वे का मुद्दा पूर्वांचल की सियासत के केंद्र में रहने वाला है। बीजेपी के लिए पूर्वांचल में जीत, सत्ता के द्वार तक पहुंचने के लिए बहुत मायने रखती है।

बीजेपी ने 2017 की प्रचंड जीत में पूर्वांचल की 156 सीटों में से 106 पर कब्जा किया था, अब पार्टी एक बार फिर वैसी ही जीत दोहराने को कोशिश में है। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और बीएसपी का भी इस क्षेत्र में अच्छा प्रभाव रहा है। बीजेपी से पहले यहां की अधिकतर सीटों पर इन्हीं दो पार्टियों की जंग होती थी। 2017 में बीएसपी ने जो 19 सीटें जीती थीं, उनमें 12 पूर्वांचल से ही आई थी। इसी तरह से सपा की 47 सीटों में 18 इसी क्षेत्र से मिली थी। अपना दल को 8, सुभासपा को 4, कांग्रेस को 4 और निषाद पार्टी को 1 सीट पर जीत मिली थी, जबकि 3 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी।

पूर्वांचल इन बड़ी पार्टियों ही नहीं कई छोटे दलों की भी प्रयोगशाला मानी जाती है। इनमें अपना दल (एस), निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और जनवादी पार्टी शामिल हैं। इस समय अपना दल और निषाद पार्टी बीजेपी खेमे में है। हाल ही में निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद को बीजेपी ने एमएलसी बनाया है। 2017 के चुनाव में सुभासपा बीजेपी की सहयोगी पार्टी हुआ करती थी, अब वह सपा के साथ आ गई है।

कांग्रेस पार्टी भी पूर्वांचल की ओर अपना रूख कर चुकी है। कई छोटी-छोटी बैठकों के अलावा पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाराणसी और गोरखपुर में दो बड़ी रैली कर चुकी हैं। उनका फोकस भी अभी पूर्वांचल की ओर ही है। कांग्रेस के पास पूर्वांचल में महज दो सीटें हैं

सभी दलों को लगता है कि पूर्वाञ्चल में विजय मिल जाए तो सत्ता पाने में आसानी रहेगी। इसी कारण सभी राजनीतिक दल इन दिनों पूर्वांचल को ही अपना सियासी आखाड़ा बनाए हुए हैं। बीजेपी के लिए पूर्वांचल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह-जनपद गोरखपुर और प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी इसी में शामिल है। 2014 का लोकसभा हो, 2017 का विधानसभा चुनाव, या फिर 2019 चुनाव, हमेशा यहां बीजेपी को अच्छी सफलता मिली है। उसी जीत को बरकार रखने के लिए बीजेपी का यहां पर ज्यादा जोर है।

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