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प्रधानमंत्री मोदी का कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान, कहीं मिला समर्थन तो कहीं हुई आलोचना

तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान, जानें फैसले पर नेताओं की प्रतिक्रिया…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरुपर्व के मौके पर देश को संबोधित करते हुए एक साल से विवादों में चले आ रहे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया। इस घोषणा के बाद टिकरी बॉर्डर से लेकर सिंघु कुंडली बॉर्डर तक, पूरे देश के किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। पीएम मोदी के इस फैसले को जहां एक तरफ समर्थन मिला, तो वहीं फैसले की आलोचना भी हुई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित अधिकांश राज्यों के मुख्यमंत्रिओं ने प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने यह फैसला लेते हुए बड़ा मन दिखाया है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने भी इस फैसले का स्वागत किया। कृषि कानूनों को लेकर सरकार पर सवाल उठाने वाले सत्यपाल मलिक तथा पक्ष-विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने भी इस फैसले को देर आए दुरुस्त आए वाला कदम करार दिया।
दूसरी ओर प्रधानमंत्री के इस फैसले को विपक्ष ने चुनावी कदम करार दिया। विपक्ष का कहना है कि, आने वाले चुनावों में हार तय दिखती नजर आ गई, जिसके बाद ही यह फैसला लिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा — ‘हम तीन नए कानून लाए गए थे, मकसद था छोटे किसानों को और ताकत मिले। वर्षों से इसकी मांग हो रही थी. पहले भी कई सरकारों ने इन पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और यह कानून लाए गए। देश के कोने कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने इसका स्वागत किया, समर्थन किया। मैं उन सभी का बहुत आभारी हूं, धन्यवाद करना चाहता हूं।’
पीएम मोदी का कहना था कि उन्होंने किसानों को बहुत समझाने की कोशिश की। तमाम कोशिशों को बावजूद वे कुछ किसानों को समझा नहीं पाए। जिसके बाद हमने इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया। प्रधानमंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि संसद के इसी शीतकालीन सत्र में सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी करेगी और इस दौरान ये तीनों कानून आधिकारिक तौर पर वापस ले लिए जाएंगे।
हालांकि, तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान होने के बावजूद किसानों ने धरना अब तक खत्म नहीं किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने यह साफ कर दिया है कि, जब तक संसद से कृषि कानूनों को वापस लेने का बिल पारित नहीं होता। किसान यूं ही धरने पर बैठे रहेंगे। इसके साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी, बिजली सुधार विधेयक समेत कई अन्य मुद्दों पर भी अपनी लड़ाई जारी रखने की बात कही है।