टिकैत की धमकी: दिल्ली घेरेंगे

नए कृषि कानूनों के विरुद्ध किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। किसान आंदोलन को 11 महीने से अधिक हो चुका है। लेकिन विवाद का अभी तक कोई समाधान नहीं निकला। किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं तो वहीं सरकार तीनों क़ानूनों को निरस्त करे। अब हाल ही में दिल्ली के बॉर्डर को लेकर सरकार के फैसले पर किसानों का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा। किसान अपने इस आंदोलन को तेज करने की हर रणनीति बना रहे हैं। इस पर किसान नेता राकेश टिकैत का एक बार फिर बयान सामने आया है। राकेश टिकैत का कहना है कि, सरकार अगर मांगें नहीं मानेगी तो, किसान इस बार ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली को चारों तऱफ से घेर लेंगे।
किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट कर सरकार को अल्टीमेटम दिया है। राकेश टिकैत का कहना है कि केंद्र सरकार के पास 26 नवंबर तक का समय है। अगर सरकार 26 नवंबर तक उनकी मांगें नहीं मानती हैं तो किसान 27 नवंबर से गांवों से ट्रैक्टरों पर सवार होकर भारी संख्या में दिल्ली पहुंचेंगे और दिल्ली को चारों तरफ से घेरेंगे। इस बार किसान पीछे नहीं हटेंगे और इस पार पक्की किलेबंदी की जाएगी और धरना स्थल पर तंबुओं को भी मजबूत किया जाएगा।

बता दें कि कई बार सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर चला लेकिन समस्या का समाधान तब भी नहीं हो पाया। हाल ही में पिछले सप्ताह सरकार और किसानों के बीच 3 दिन तक बातचीत हुई। जिसके बाद सड़क से बैरिकेडिंग हटाकर थोड़ा रास्ता दिया गया। जहां से पैदल और बाइक सवार निकल सकेंगे। इस रासते से सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक आवाजाही की जाएगी।
किसानों का नए कानूनों के विरोध में ये आंदोलन नवंबर 2020 से चल रहा है। टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर पंजाब और हरियाणा के कई किसान धरने पर बैठे हुए हैं। किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने रोका था, तब से किसान यहां धरने पर बैठे हुए हैं। शुरू में दोनों बॉर्डर पर सिर्फ बैरिकेड ही लगाए गए थे। 26 जनवरी 2021 को दिल्ली में लाल किले पर हुई हिंसा के बाद टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर कंक्रीट के भारी-भरकम ब्लॉक लगा दिए गए थे।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि किसानों को विरोध करने का संवैधानिक अधिकार है किंतु उन्हें अनिश्चित काल के लिए सड़कें बंद करके जन-साधारण को असुविधा में डालने का अधिकार नहीं है। इस टिप्पणी के चलते दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड हटाने के प्रयास किए थे। किंतु टिकैत के रुख़ को देख कर ऐसा लगता है कि देश की राजधानी में रहने वाले और वहाँ आने-जाने वालों की मुसीबतें कम होने वाली नहीं हैं।

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