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चर्चों का सर्वेक्षण करना धार्मिक आजादी के विरुद्ध, कर्नाटक के बेंगलुरु में चर्चों के अवैध निर्माण और धर्मांतरण पर नरम पड़े अधिकारी

पिछले कुछ समय से बेंगलुरु में चर्चों के माध्यम से जबरन अवैध पंथ परिवर्तन को लेकर ख़बरें सामने आईं थी। लोगों की माँग पर बीजेपी सरकार ने भी अनाधिकृत चर्चों को हटाने और ज़बरन पंथ-परिवर्तन पर अंकुश लगाने की मंशा व्यक्त की थी। जिसके चलते चर्चों और बाइबिल समाजों का सर्वेक्षण करने का बीजेपी ने प्रस्ताव पेश किया था। अब इसे लेकर एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है।
बता दें कि 13 अक्टूबर को पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों की कल्याण समिति ने जिला उपायुक्तों को सर्वेक्षण के आदेश पारित किए थे। जिसके बाद पैनल की इस मुद्दे को लेकर 27 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण बैठक होनी थी। इस महत्वपूर्ण बैठक में 20 सदस्यों में कम से कम 9 सदस्यों का उपस्थित होना अनिवार्य था, लेकिन इस बैठक में 20 में से केवल 5 सदस्य ही पहुंचे।
वहीं मामले में अधिकारियों की मानें तो, फिलहाल इस सर्वेक्षण को अभी कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। इस पैनल का 9 नवंबर को कार्यकाल समाप्त होने वाला है। जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि विधानसभा अध्यक्ष विशेश्वर हेगड़े नवंर महीने में एक नई समिति का गठन कर इस मुद्दे को लेकर दोबारा से प्रक्रिया आरम्भ की जाएगी।
इस मामले में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो, “विभिन्न विभागों के अधिकारियों का कहना है कि चर्चों का सर्वेक्षण नहीं किया जा सकता है क्योंकि ये धर्म की स्वतंत्रता के संवैधानिक प्रावधान के विरुद्ध है। पुलिस द्वारा इस साल जबरन पंथ परिवर्तन के 36 मामले दर्ज किए, परंतु चर्च चलाना और चर्च में प्रार्थना सभा आयोजित करना कोई अपराध नहीं है, यह आपराधिक प्रक्रिया के दायरे के अंतर्गत नहीं आता है”
27 अक्टूबर को होने वाली इस बैठक में सदस्यों की संख्या कम होने के कारण ये बैठक रद्द हो गई थी। सर्वेक्षण पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका भी अभी लंबित है। इस पर अधिकारियों का ये भी कहना है कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहती है।
समिति के अध्यक्ष, औक कुम्ता से बीजेपी विधायक, दिनकर केशव शेट्टी का कहना है कि “मैं पहले से निर्धारित कार्यक्रमों के कारण 27 अकटूबर को बैठक में उपस्थित नहीं हो पाया था। बैठक रद्द कर दी गई क्योंकि बैठक में जितने सदस्यों की आवश्यकता थी उतने सदस्य बैठक में नहीं पहुंच पाए थे। हमें कई कानूनी और सामाजिक कारणों पर विचार करने की आवश्यकता है। इसलिए दोबारा बैठक बुलाई जाएगी”
बता दें कि अध्यक्ष की अनुपस्थिति में होसदुर्गा के बीजेपी विधायक गुलीहट्टी शेखर ने 13 अक्टूबर को बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें अल्पसंख्यक कल्याण और राजस्व विभागों के अधिकारियो को सर्वेक्षण के लिए आदेश दिए गए थे। बीजेपी के इस कदम पर दूसरे राजनीतिक दलों और धार्मिक संस्थानों की विरोधी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा था। गुलीहट्टी शेखर ने शिकायत की थी उनकी मां ने ईसाई पंथ अपना लिया था, और सत्तारूढ़ बीजेपी के नेतृत्व ने कथित तौर पर संयम बरतने का निर्देश दिया था।
साथ ही गुलीहट्टी शेखर ने ये भी कहा कि, “ये गलत तरीके से बताया गया है कि हम चर्चों का सर्वेक्षण करना चाहते हैं। हम तो सिर्फ एक डाटाबेस तैयार करना चाहते हैं, जिसके लिए चर्च, मस्जिद, दरगाह और अन्य धार्मिक संस्थानों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना जरूरी है। इस तरह की जानकारी इकट्ठा करना गलत नहीं है और जानकारी एकत्रित करने के प्रयास शिथिल नहीं किए जाएँगे।”